वृद्धि एवं विकास,विकास की अवस्थाएँ, | शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था की विशेषताएं
अभिवृद्धि एवं विकास-
अभिवृद्धि = "अभिवृद्धि से आशय शरीर तथा शारीरिक अंग में भार तथा आकार की दृष्टि से वृद्धि होना है."
ऐसी वृद्धि जिसका मापन संभव हो -सारेनसन
- अभिवृद्धि एक जैविक क्रिया है।
- इसमें परिमाणात्मक परिवर्तन होते है।
- अभिवृद्धि के घटक मूर्त होते हैं।
- वृद्धि का क्षेत्र सीमित होता है।
- वृद्धि अजीवन नहीं चलती, कुछ समय बाद रुक जाती है।
- अभिवृद्धि का प्रयोग संकुचित अर्थ में होता है।
नोट- अधिगम एवं वातावरण द्वारा आर्जित गुणों का अभिवृद्धि में स्थान नगण्य रहता है।
विकास👉
विकास के अन्तर्गत सामाजिक, सांस्कृतिक नैतिक, मानसिक शारीरिक एवं संवेगात्मक परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है।
'विकास मुख्यतः वंशानुक्रम तथा वातावरण की अंतःक्रिया पर आधारित है।"
- विकास में वृद्धि भी सम्मिलित है, इसमें गुणात्मक
- परिमाणात्मक परिवर्तन होते है।
- यह जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।
- विकास बहुमुखी प्रक्रिया है।
- विकास की गति "सामान्य से विशिष्ट" की ओर चलती है।
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