मूल प्रवृत्ति का अर्थ, विशेषताएं | प्रमुख मूल प्रवृत्ति एवं उनके संवेग
शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है।
शिक्षा के जरिए बालक के जन्मजात प्रवृत्तियों का शोधन होता है और उसके व्यवहार का उत्तरोत्तर उन्नयन होता है → हमारे व्यवहार का नियंत्रण हमारी मूलप्रवृत्तियाँ करती है। मैकडुगल का कहना है कि मूल प्रवृत्तियाँ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से मानव क्रियाओं की प्रमुख चालक है।
यदि मूल प्रवृत्तियों तथा उनसे सम्बन्धित शक्तिशाली संवेगों को हटा दिया जाए तो प्राणी किसी भी प्रकार का कार्य नहीं कर सकता है.
वुडवर्थ के अनुसार "मूल प्रवृत्ति कार्य करने का विना सीखा हुआ स्वरूप है।
मारसल के अनुसार मूल प्रवृत्ति व्यवहार का सुनिश्चित और सुव्यवस्थित प्रतिमान है। जिसका आदि कारण (प्रारम्भिक कारण जन्मजात होता है। जिस पर सीखने का बहुत कम या बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ता है।जेम्स के अनुसार → मूल प्रवृत्ति की परिभाषा साधारणतः इस प्रकार कार्य करने की शक्ति के रूप में की जाती है जिससे उददेश्यों और कार्य करने की विधि को पहले से जाने बिना प्राप्त होती है ।
मैक्डूगल के अनुसार👇
मूल प्रवृत्ति परम्परागत या जन्मजात मनोशारीरिक प्रवृत्ति है जो प्राणी को किसी विशेष वस्तु को देखने उसके प्रति ध्यान देने उसके प्रति संवेगात्मक उत्तेजना को प्राप्त करने और उसके प्रति एक विशेष ढंग से कार्य करने की इच्छा जागृत होती हैं।
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