क्रिप्स मिशन तथा भारत छोड़ो आंदोलन
क्रिप्स मिशन(1942)
द्वितीय विश्व युद्ध में दक्षिण पूर्व एशिया में जापान ने कई ब्रिटिश उपनिवेशों पर अपनी जीत दर्ज की तथा उसने बर्मा को भी जीत लिया जिससे ब्रिटेन की स्थिति कमजोर हो गई थी तब अमेरिका,आस्ट्रेलिया तथा चीन आदि ने ब्रिटेन पर दबाव बनाया कि वह युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करे।
इस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से मार्च 1942 में भारतीय नेताओं से वार्ता करने के लिये 'स्टैफोर्ड क्रिप्स' के नेतृत्व में एक मिशन भारत आया, इस मिशन में निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे-
1. युद्ध के उपरांत भारत को "डोमिनियन स्टेट" का दर्जा दिया जाएगा जो किसी विदेशी सत्ता के अधीन नहीं होगा।
2. भारत के पास राष्ट्रमंडल की सदस्यता से हटने का विकल्प होगा।
3. भारतीयों को अपना संविधान बनाने का अधिकार होगा जिसके लिए एक "संविधान निर्मात्री सभा" का गठन किया जाएगा जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांतों के निर्वाचित सदस्य तथा देसी रियासतों के प्रतिनिधि(मनोनीत सदस्य) शामिल होंगे।
4. जब तक नया संविधान नहीं बन जाता तब तक भारत का रक्षा विभाग ब्रिटिश नेतृत्व के अधीन रहेगा।
5. यदि कोई ब्रिटिश भारतीय प्रांत नए संविधान को स्वीकार नहीं करता है तो उसे अपनी वर्तमान संवैधानिक स्थिति को बनाए रखने का अधिकार होगा तथा ऐसे प्रांतों को अपना स्वयं का संविधान बनाने की अनुमति होगी।
6. युद्ध के दौरान वायसराय की नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा जिसमें भारतीय जनता के प्रमुख वर्गों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।
7. प्रजातीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों को बाधित नही किया जाएगा तथा उनके हितों की रक्षा आपसी समझौते द्वारा की जायेगी और ब्रिटिश सरकार संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को तभी मान्यता प्रदान करेगी जब उसमें अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए।
क्रिप्स मिशन से वार्ता करने के लिए कांग्रेस के आधिकारिक वार्ताकार जवाहरलाल नेहरू और अबुल कलाम आजाद थे।
क्रिप्स मिशन के इन प्रस्तावों को कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने ही अस्वीकार कर दिया। गांधी जी ने मिशन के प्रस्तावों को 'उत्तर तिथीय चेक'(Post-Dated Cheque) की संज्ञा दी जिसमें जवाहरलाल नेहरू ने 'जिसका बैंक नष्ट होने वाला था' भी जोड़ा।
मुस्लिम लीग के आत्म-निर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किए जाने के कारण,लीग ने क्रिप्स मिशन को अस्वीकृत कर दिया।
भारत छोड़ो आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन को "अगस्त क्रांति" के नाम से भी जाना जाता है तथा गांधी जी द्वारा चलाया गया तीसरा बड़ा जन आंदोलन था, यह एक ऐसा आंदोलन था जिसको कभी वापस नहीं लिया गया।
प्रमुख कारण
1. क्रिप्स मिशन का असफल होना।
2. भारत पर जापानी आक्रमण का भय, गांधीजी का मानना था कि भारत पर जापान आक्रमण इसलिए कर रहा है क्योंकि यहां ब्रिटिश शासन है यदि अंग्रेज भारत छोड़ देते हैं तो जापानी आक्रमण का खतरा टल जाएगा।
3. देश में लगातार अंग्रेजों का बढ़ता शोषण।
4. परिपक्व होता राष्ट्रीय आंदोलन तथा जनमानस में बढ़ती राजनीतिक जन जागरूकता।
इस प्रकार इन कुछ प्रमुख कारणों से भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया। भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित प्रमुख तथ्य एवं विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1. 14 जुलाई 1942 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक वर्धा में हुई जिसकी अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की, इस बैठक में अंग्रेजो के खिलाफ एक जन आंदोलन चलाने के लिए "भारत छोड़ो" प्रस्ताव पास किया गया।
2. 7 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में वर्धा प्रस्ताव( भारत छोड़ो प्रस्ताव) की पुष्टि कर दी गई।
3. इस अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में "भारत छोड़ो प्रस्ताव" पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तुत किया था जिसका समर्थन सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा किया गया, इस प्रस्ताव का आलेख स्वयं गांधी जी ने जवाहरलाल नेहरू और अबुल कलाम आजाद की सहायता से तैयार किया था।
4. गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने से पूर्व मुंबई के अपने ऐतिहासिक भाषण में निम्नलिखित घोषणाएं की-
० सर्वप्रथम उन्होंने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' की बात कही और कहा कि अब वह आजादी से कम किसी चीज पर संतुष्ट नहीं होंगे।
० उन्होंने "करो या मरो" का नारा दिया जिसका अर्थ था कि या तो हम देश को आजाद कराएंगे या आजादी के प्रयास में अपने प्राण दे देंगे।
० प्रत्येक व्यक्ति अब अपना नेता स्वयं होगा।
5. इसी भाषण के दौरान गांधी जी ने जनता से निम्नलिखित कार्यक्रम के लिए अपील की-
० सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी नहीं छोड़े परंतु अपनी निष्ठा कांग्रेस के साथ घोषित करें।
० छात्र छात्राएं तभी पढ़ाई छोड़े जब स्वतंत्रता मिलने तक अपने विचार पर दृढ़ रह सकें।
० सैनिक ब्रिटिश सेना की नौकरी न छोड़े परंतु भारतीयों पर गोली चलाने से इंकार कर दें।
० राजे रजवाड़े,रियासतें देश की जनता के प्रति अपने कर्तव्य को समझें तथा जनता की प्रभुसत्ता स्वीकार करें।
० किसान उन जमीदारों का समर्थन करें जो सरकार विरोधी हैं लेकिन सरकार समर्थक जमीदारों को भू राजस्व देने से इंकार कर दें।
नोट:- 'भारत छोड़ो' नाम 'युसूफ मेहर अली' द्वारा दिया गया था।
6. भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त को प्रारंभ हुआ तथा आंदोलन आरंभ होते ही गांधीजी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को ऑपरेशन "जीरो ऑवर" के तहत गिरफ्तार कर लिया गया जिससे यह आंदोलन स्वतः स्फूर्त बन गया। गांधी जी को आगा खां पैलेस(पुणे) में गिरफ्तार कर रखा गया था।
7. जल्दी ही यह आंदोलन संपूर्ण भारत में फैल गया परंतु इसका सर्वाधिक प्रभाव उत्तर प्रदेश,बंगाल,बिहार, उड़ीसा, बम्बई,मद्रास में था।
8. इस आंदोलन के दौरान बम्बई से गुप्त रेडियो का प्रसारण किया जाता था जिसे देश के कई भागों में सुना जाता था इस रेडियो पर राम मनोहर लोहिया नियमित रूप से प्रसारण किया करते थे। इस दौरान इस आंदोलन का प्रचार प्रसार करने के लिए कांग्रेस के 'भूमिगत रेडियो' का भी संचालन किया जाता था इस दल की एक महत्वपूर्ण सदस्य उषा मेहता थीं।
9. इस आंदोलन में किसानों की भागीदारी अत्यधिक रही तथा किसानों के समूहों द्वारा जगह जगह पर अंग्रेजों पर कई हमले किए गए इसीलिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने "भारत छोड़ो आंदोलन को 1857 की क्रांति के बाद का सबसे गम्भीर विद्रोह कहा है।"
10. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश के कई भागों में समानांतर सरकार की स्थापना की गई-
० बलिया(यू.पी.)- यहां चित्तू पांडे के नेतृत्व में अगस्त 1942 में समानांतर सरकार की स्थापना की गई।
० तामलुक(मिदनापुर,बंगाल)- यहां दिसंबर 1942 में समानांतर सरकार का गठन किया गया जो सितंबर 1944 तक चलती रही।
० सतारा(महाराष्ट्र)- यहां की सरकार के प्रमुख नेता वाई.वी.चह्वाण तथा नाना पाटिल थे तथा यहां की समानांतर सरकार सबसे लंबे समय तक चलने वाली सरकार थी जो कि 1943 से 1945 तक कार्य करती रही।
० तालचेर(उड़ीसा)- इस दौरान यहां भी समानांतर सरकार का गठन किया गया।
नोट:- भारत छोड़ो आंदोलन के समय समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण काफी सक्रिय थे और इन्होंने 'हजारीबाग सेंट्रल जेल' से फरार होकर भूमिगत रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया।
मुस्लिम लीग भारत छोड़ो आंदोलन से अलग रही तथा उसने 23 मार्च 1943 को 'पाकिस्तान दिवस' मनाया इस समय उसका उद्देश्य भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान का निर्माण करवाना था इसलिए उसने अंग्रेजों के विरुद्ध 'बांटो और भागो' का नारा दिया।
कम्युनिस्ट पार्टी ने रूस के प्रभाव में आकर भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन नहीं किया और वह इससे अलग रही।
परिणाम-
1. इस प्रकार कई राजनीतिक पार्टियों एवं समुदायों का समर्थन न मिलने एवं सरकारी दमन के चलते यह आंदोलन सफल ना हो सका परंतु गाँव से लेकर शहर तक ब्रिटिश सरकार हर स्तर पर चुनौती का सामना करना पड़ा।
2. ब्रिटिश सरकार ने क्रूरतापूर्ण आंदोलनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जिसमें लगभग 10000 लोग मारे गए।
3. तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो को इस आंदोलन की तीव्रता देखकर यह आभास हो गया कि अब भारत की स्वतंत्रता अनिवार्य है।
4. भारत छोड़ो आंदोलन के समय विदेशों में भी भारतीय स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बना। चीनी नेता च्यांग काई ने अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्र लिखा जिसमें उनका स्पष्ट मत था कि ब्रिटेन को भारत छोड़ देना चाहिए।
5. इस आंदोलन से भारतीय जनता के अंदर आत्मविश्वास तेजी से बढ़ा तथा समानांतर सरकारों के गठन से स्थानीय स्तर तक लोग आंदोलित हो उठे।
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