अगस्त प्रस्ताव एवं व्यक्तिगत सत्याग्रह
1 सितंबर 1939 को जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण से द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो जाता है ब्रिटिश सरकार भारतीयों की सहमति के बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को ब्रिटेन की तरफ से शामिल करने की घोषणा कर देती है तथा देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
कांग्रेस ने तत्कालीन वायसराय लार्ड लिनलिथगो से युद्ध के उद्देश्य घोषित करने तथा युद्ध के बाद भारत की स्वतंत्रता की मांग की। इसके अतिरिक्त भारतीयों की सहमति के बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को सम्मिलित किए जाने के विरोध में प्रांतों में कांग्रेस मन्त्रिमंडलों द्वारा इस्तीफा दे दिया गया।
अगस्त प्रस्ताव(8 अगस्त 1940)
द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों का साथ पाने के लिए तत्कालीन बेसरा लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा "अगस्त प्रस्ताव" की घोषणा की जाती है जिसे "लिनलिथगो प्रस्ताव" के नाम से भी जाना जाता है इस प्रस्ताव की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
1. भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा देना।
2. एक युद्ध सलाहकार परिषद का गठन किया जाएगा जिसमें भारतीयों को सम्मिलित किया जाएगा।
3. अल्पसंख्यकों को इसमें आश्वासन दिया गया कि ब्रिटिश सरकार किसी ऐसी संस्था को देश का शासन नहीं सौंपेगी जिसके विरुद्ध एक सशक्त मत हो।
4. युद्ध के बाद संविधान सभा का गठन किया जाएगा जिसमें भारतीय संविधान की रूपरेखा भारतीयों द्वारा बनाई जाएगी तथा ऐसा संविधान बनाया जाएगा जिसमें अखिल भारतीय सेवाओं, अल्पसंख्यकों, रक्षा तथा राज्यों से संधियों आदि मुद्दों पर भारतीयों के अधिकार का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
5. वायसराय की कार्यकारिणी परिषद का विस्तार किया जाएगा।
अगस्त प्रस्ताव को कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया। नेहरू ने कहा कि 'डोमिनियन स्टेट का मुद्दा अब अप्रासंगिक हो चुका है' जबकि मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग को स्पष्ट रूप से नहीं माने जाने के कारण इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।
व्यक्तिगत सत्याग्रह(1940)
अगस्त प्रस्ताव को कांग्रेस के द्वारा पूर्ण रूप से अस्वीकार किए जाने के बाद गांधी जी के नेतृत्व में ब्रिटिश युद्धनीति के खिलाफ अक्टूबर 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ किया गया-
1. गांधी जी द्वारा प्रथम सत्याग्रही के रूप में आचार्य 'विनोबा भावे' को नियुक्त किया गया जिन्होंने 17 अक्टूबर 1940 को पवनार आश्रम(वर्धा, महाराष्ट्र) से सत्याग्रह आरंभ किया।
2. विनोबा भावे ने गांव गांव जाकर लोगों से युद्ध में असहयोग तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आग्रह किया जिससे अंग्रेजो ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया
3. इसके बाद दूसरे सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरू हुए तथा तीसरे सत्याग्रही ब्रह्मदत्त थे।
4. धीरे धीरे यह आंदोलन देश के बड़े भाग में फैल गया तथा इसमें हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां दी।
5. इस आंदोलन से सी.राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, अरूणा आसफ अली जैसे नेता जुड़े थे।
नोट:- "सर्वोदय समाज" की स्थापना गांधीजी के आदर्शों के प्रचार के लिये आचार्य विनोबा भावे ने की थी जबकि 'सर्वोदय' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम महात्मा गांधी द्वारा किया गया।
कांग्रेस के 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में गांधीजी के नेतृत्व में व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ करने संबंधी प्रस्ताव पास हुआ था जबकि 1941 की बारदोली अधिवेशन में इस आंदोलन को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव पास हुआ तथा यह व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन जनवरी 1942 में समाप्त हो गया।
आचार्य विनोबा भावे
1. इनका वास्तविक नाम विनायक नरहरि भावे था।
2. यह प्रसिद्ध समाज सुधारक, संत,स्वतंत्रता सेनानी तथा गांधीवादी थे।
3. इन्होंने भूदान आंदोलन प्रारंभ किया था इसकी शुरुआत 1951 में आंध्र प्रदेश की पोचमपल्ली गांव से हुई थी।
4. इन्होंने मराठी में एक मासिक पत्रिका 'महाराष्ट्र धर्म' भी निकाली थी।
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