भारतीय राष्ट्रवाद एवं उसके उदय के कारण-
राष्ट्रवाद से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के बीच आपसी राजनीतिक,आर्थिक,सामाजिक-सांस्कृतिक एकता से है। यह किसी राष्ट्र के लोगों के बीच आपसी सामंजस्य एवं सौहार्द को बढ़ावा देता है तथा उनकी निष्ठा का केंद्र बिंदु एक होता है। इस प्रकार राष्ट्रवाद एक भूगोल, साझा ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत,समान परंपराओं, भावनाओं एवं आकांक्षाओं से पोषित होता है।
राष्ट्रवाद के उदय के कारण-
भारत में राष्ट्रवाद का उदय 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में होता है जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार जिससे मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों ने भारतीय समाज को जागरूक किया।
2. अंग्रेजों की शोषणरक आर्थिक नीतियां- कृषि की बर्बादी, उद्योगों का पतन तथा धन निष्कासन इत्यादि।
3. अंग्रेजों की भेदभावपरक राजनीतिक एवं प्रशासनिक नीतियां, प्रतिक्रियास्वरूप भारतीय समाज में एकजुटता।
4. सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन-ब्रह्म समाज,आर्य समाज,रामकृष्ण मिशन, प्रार्थना समाज इत्यादि।
5. अंग्रेजी शासन का विदेशी चरित्र।
6. समाचार-पत्र पत्रिकाओं एवं साहित्य की भूमिका- सोम प्रकाश ,अमृत बाजार पत्रिका,संजीवनी, द बंगाली आदि।
7. यातायात एवं संचार साधनों का विकास- रेलवे,मोटर का विकास आदि।
8. विभिन्न सांस्कृतिक महोत्सवों का आयोजन- तिलक द्वारा शिवाजी एवं गणेश उत्सव।
9. अंग्रेजों के विरुद्ध समय समय पर होने वाले विद्रोह-1857 की क्रांति ।
10. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदय एवं अन्य कांग्रेस पूर्ववर्ती संस्थाएं- इंडियन लीग,इंडियन नेशनल एसोसिएशन आदि।
11. विदेशी तत्त्वों की भूमिका- 1776 की अमेरिकी क्रांति,1789 की फ्रांसीसी क्रांति,जापान की रूस एवं चीन पर विजय आदि।
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