ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने सन् 1942 में क्रिप्स मिशन को भारत भेजा लेकिन भारतीयों द्वारा मिशन का जोरदार विरोध हुआ और मिशन असफल हुआ।
क्रिप्स मिशन को महात्मा गांधी ने "पोस्टडेटेड चेक" कहा।
क्रिप्स मिशन को पं0 जवाहर लाल नेहरू ने " टूटे हुए बैंक का पोस्टडेटेड चेक" कहा।
1945 में ब्रिटेन में सरकार बदल गयी। नई सरकार "लेबर पार्टी" की बनी। जिसके प्रधानमंत्री बने क्लीमेंट एटली।
एटली ने चुनाव से पहले कहा था- हमें भारत को आजाद करना चाहिए।
ब्रिटेन के दोनो सदनों के नाम
1- हाउस ऑफ कॉमन
2- हाउस ऑफ लॉर्ड्स
एटली ने " हाउस ऑफ कॉमन" में 14 मार्च 1946 को एक प्रस्ताव लाया जिसमें दो बातें मुख्य थीं
1- भारतीयों को स्वतंत्रता
2- संविधान सभा का गठन
सहमति के पश्चात एक "कैबिनेट मिशन" बनाया गया और भारत में भेजा गया और कबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत पहुँचा।
कैबिनेट मिशन में तीन सदस्य थे
1- सर पैथिक लारेंस (भारत सचिव)
2- ए. वी. एलेक्जेंडर (नेवी मंत्री)
3- स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार मंत्री)
कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष – सर पैथिक लारेंस
कैबिनेट मिशन योजना के दो प्रमुख उद्देश्य थे
1- संविधान सभा बनाना
2- अंतरिम सरकार का गठन
संविधान सभा की मांग..
संविधान सभा की पहली "अनौपचारिक मांग" सन् 1895 में बाल गंगाधर तिलक के द्वारा स्वराज पत्र में स्वराज विधेयक या स्वराज बिल के नाम से की।
1922 में महात्मा गांधी ने "यंग इंडिया" में संविधान सभा की मांग की और गांधी जी ने कहा- "भारतीयों की संविधान सभा भारतीयों के अनुसार होगी"
1924 में संविधान सभा की मांग मोती लाल नेहरू के द्वारा किया गया
1934 में एम. एन. राय के द्वारा पहली "औपचारिक" मांग की गई।
कांग्रेस ने पहली बार संविधान सभा की मांग 1935 में की।
1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से पं0 जवाहर लाल नेहरू ने घोषणा की कि "
स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा के द्वारा किया जायेगा"
No comments:
Post a Comment