धूमकेतु(Comet)-
धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहा जाता है।धूमकेतु धूल,गैस,बर्फ आदि के संग्रह से बने छोटे खगोलीय पिंड होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
प्रमुख विशेषताएं:-
1. धूमकेतु वलयाकार पद पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं जिसके कारण कभी सूर्य के काफी नजदीक एवं कभी सूर्य से काफी दूर होते हैं। इसका आर्बिट पथ Highly Eccentric होता है।
2. जब धूमकेतु सूर्य के नजदीक आता है तो सूर्य की गर्मी एवं सोलर विंड के कारण इसके गैस,धूल एवं बर्फ के बादल जलने लगते हैं जिससे एक पूंछ का निर्माण होता है इसीलिए इसे पुच्छल तारा कहते हैं।
3. धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में अर्थात सूर्य से दूर होती है।
4. हैले नामक धूमकेतु 76 वर्ष बाद दिखाई देता है पिछली बार यह 1986 में दिखाई दिया था अब यह 2062 में दिखाई देगा।
5. धूमकेतु उसी समय पृथ्वी से दिखाई देते हैं जब यह सूर्य के नजदीक आते हैं।
6. धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं परंतु फिर भी उनके वापस लौटने का समय निश्चित होता है।
7. धूमकेतु अधिकांशतः क्यूपर बेल्ट और ऊर्ट क्लाउड के क्षेत्र में पाए जाते हैं।
नोट:-
क्यूपर बेल्ट- यह बेल्ट नेप्च्यून ग्रह के बाहर या उसके आगे पायी जाती है जिसमे करोड़ो धूमकेतु पाये जाते हैं।
ऊर्ट क्लॉउड- ये क्यूपर बेल्ट से भी दूर पाये जाते हैं जो सूर्य से 1 लाख एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट दूर है।
एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट- सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट कहलाती है।
No comments:
Post a Comment