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    18.6.20

    राज्यपाल

    राज्यपाल-
    राज्यपाल का पद कनाडा से लिया गया है,अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा इसी में कहा गया है कि दो या अधिक राज्यों के लिए या किसी केंद्र शासित प्रदेश के लिए भी एक राज्यपाल कार्य कर सकता है।
    अनुच्छेद 154 के अनुसार राज्य कार्यपालिका की समस्त शक्तियां राज्यपाल में निहित होंगी जिसका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
    अनु० 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे।
    अनु०156 के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत अपने पद पर बना रहता है।
    इस प्रकार राज्यपाल निम्नलिखित दो रूपों में अपनी भूमिका अदा करता है-
    1. राज्य का संवैधानिक प्रधान
    2. संघ का प्रतिनिधि 
    राज्यपाल के लिए योग्यताएं-
    1. वह भारत का नागरिक हो।
    2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
    3. वह किसी लाभ के पद पर न हो।
    4. वह संघ विधानमंडल या राज्य विधान मंडल का सदस्य न हो,यदि सदस्य है,तो इस पद पर नियुक्त होते ही उसका पिछला पद रिक्त हो जाएगा।
             राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष होता है वह दोबारा भी इस पद पर नियुक्त होने का पात्र है समय पूरा हो जाने के बाद भी वह इस पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि नए राज्यपाल की नियुक्ति नहीं हो जाती। राज्यपाल समय के पूर्व भी अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को देकर अपने पद से मुक्त हो सकता है राज्यपाल की अनुपस्थिति में उस राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश उस कार्य को देख सकता है या राष्ट्रपति किसी पड़ोसी राज्य के राज्यपाल को यह दायित्व सौंप सकते हैं।
             राज्यपाल का वेतन एवं भत्ता राज्य की संचित निधि पर भारित होता है। जिस समय राज्यपाल एक से अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल के रूप में कार्य करेगा उस समय उसे वेतन उन राज्यों की संचित निधि से उसी अनुपात में दिया जाएगा जैसा कि राष्ट्रपति निर्धारित करेगें।
    राज्यपाल की शक्तियां/कार्य-
    1. राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियां- इसके अंतर्गत निम्नलिखित शक्तियां आती हैं-
    ० कार्यपालिका संबंधी अधिकार- इसके अंतर्गत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है राज्यपाल राज्य के महाधिवक्ता,राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों, राज्य विश्वविद्यालय के उप कुलपतियों, विधानसभा में एक एंग्लो-इंडियन सदस्य तथा विधान परिषद में 1/6 सदस्यों को मनोनीत करता है। राज्यपाल स्वयं राज्य विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होता है।
    ० विधायिका संबंधी अधिकार- राष्ट्रपति की तरह राज्यपाल को भी सभी विधायी अधिकार प्राप्त होते हैं और अनुच्छेद 213 के अंतर्गत अध्यादेश भी जारी कर सकता है।
    ० वित्तीय अधिकार- राज्यपाल भी राष्ट्रपति की तरह वित्तीय अधिकार रखता है।
    ० न्यायिक अधिकार- अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल को उस राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा या किसी न्यायालय द्वारा सजा दिए गए व्यक्ति को क्षमा देने का अधिकार प्राप्त है लेकिन वह मृत्युदंड पाए व्यक्ति को क्षमा नहीं कर सकता।

    2.विवेकाधीन शक्तियां- राज्यपाल को संविधान ने कुछ मामलों में विवेक का अधिकार प्रदान किया है जैसे-
    ० मुख्यमंत्री की नियुक्ति बा बर्खास्तगी।
    ० मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देना।
    ० मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर किसी अधिकरण से जांच कराने का आदेश देना।
    ० अनुच्छेद 356 की सिफारिश करना 
    ० अनुच्छेद 200 के अंतर्गत किसी विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना।
    ध्यातव्य है कि राज्यपाल निम्नलिखित विधेयक पर हस्ताक्षर करने के पूर्व राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखता है-
    - समवर्ती सूची पर कानून बनाने संबंधी विधेयक 
    - उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में कटौती करने संबंधी विधेयक
    -  अंतरराज्यीय वाणिज्य एवं व्यापार से संबंधित विधेयक
    -  अनिवार्य संपत्ति के अधिग्रहण संबंधी विधेयक
    अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
    1. नागालैंड के राज्यपाल को मंत्रिपरिषद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व न होने पर एक महिला मंत्री को मनोनीत करने का अधिकार प्राप्त है।
    2. मध्य प्रदेश,उड़ीसा,बिहार आदि के राज्यपाल को अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए एक मंत्री को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त है।
    3. असम का राज्यपाल असम के खानों से प्राप्त होने वाले धन को सरकार और जिला परिषद के बीच बांट सकता है।
    4. कुछ राज्यों के लिए अनुच्छेद 371(क) के अंतर्गत राज्यपाल को विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं।

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