ग्रह एवं उनकी महत्वपूर्ण विशेषताएं-
सौरमंडल के केंद्र में सूर्य स्थित है और पृथ्वी सहित आठ ग्रह इसका चक्कर लगाते हैं वास्तव में ग्रह वह खगोलीय पिंड होते हैं जो-
1. सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
2. उनमें इतना गुरुत्वाकर्षण बल होना चाहिए कि वह गोल स्वरूप धारण कर सकें।
3. उनके आसपास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़ नहीं होनी चाहिए अर्थात आसपास का क्षेत्र साफ होना चाहिए।
इस परिभाषा के आधार पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने लगाने वाले ग्रहों की संख्या अब 8 है तथा प्लूटो को अब ग्रह की श्रेणी से निकालकर बौने ग्रह की संज्ञा दी गई है क्योंकि वह उपर्युक्त मानकों को पूरा नहीं कर पाता है। यह मानक अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने प्राग सम्मेलन( अगस्त 2006) में निर्धारित किए थे।
सौरमंडल के ग्रहों को इनके मूल निर्माणक तत्वों के आधार पर निम्न दो समूहों में विभक्त किया गया है-
० आंतरिक ग्रह - आंतरिक ग्रहों में बुध ,शुक्र, पृथ्वी तथा मंगल आते हैं वैज्ञानिकों के अनुसार इन ग्रहों का निर्माण प्रधानता भारी तत्वों से हुआ है उदाहरण के लिए लोहा, निकिल ,एलमुनियम, सिलिका इत्यादि इसलिए इन ग्रहों को 'पार्थिव ग्रह' भी कहते हैं।
० बाह्य ग्रह- बाह्य ग्रहों में बृहस्पति,शनि ,अरूण(यूरेनस),वरुण(नेपच्यून) को सम्मिलित किया जाता है वैज्ञानिकों के अनुसार इन ग्रहों का निर्माण प्रधानता हल्के तत्व अर्थात गैसीय अवस्था में रहने वाले तत्वों द्वारा हुआ है उदाहरण के लिए नाइट्रोजन, अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन इत्यादि इसलिए इन ग्रहों को 'गैसीय ग्रह' के नाम से भी पुकारा जाता है।
ग्रहों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है-
बुध(Mercury)-
० यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है तथा सूर्य के सबसे नजदीक है।
० इस ग्रह की सतह का तापमान था सभी ग्रहों की तुलना में सर्वाधिक होता है (अधिकतम 427 ०C,न्यूनतम - 184 ०C) मुख्य कारण है कि यहां वायुमंडल अत्यंत विरल है।
० यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है अर्थात यह सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है।
० इसका कोई उपग्रह नहीं है।
शुक्र(Venus)-
० यह पृथ्वी का सबसे नजदीक ग्रह है।
० पृथ्वी के आकाश में सूर्य तथा चंद्रमा के बाद तीसरा सर्वाधिक चमकीला ब्रह्मांडीय पिंड दिखाई देता है।
० इस का औसत घनत्व तथा त्रिज्या लगभग पृथ्वी के बराबर है इसीलिए पृथ्वी और शुक्र को 'जुड़वा बहनें' भी कहते हैं।
० इसे 'भोर का तारा' और 'सांझ का तारा' भी कहते हैं।
० अन्य ग्रहों के विपरीत यह 'क्लॉक वाइज' चक्रण करता है।
पृथ्वी(Earth)-
० सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है।
० इसका एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है।
० जल की अधिकता के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
० अपने अक्ष पर 23 1/2 डिग्री झुकी हुई है।
० एक अपनी धुरी पर 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करती है।(दैनिक गति)
० इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365 दिन 6 घण्टे लगते हैं।(वार्षिक गति)
मंगल(Mars)-
० इसके दो उपग्रह फोबोस तथा डीमोस हैं।
० इसे लाल ग्रह भी कहते हैं।
० मंगल के वायुमंडल में मुख्य रूप से कार्बन डाई आक्साइड, ऑर्गन ,नाइट्रोजन आदि गैंसे पाई जाती हैं।
० मंगल का व्यास (6794 किलोमीटर) पृथ्वी के व्यास(12750 किलोमीटर) का लगभग आधा है।
० सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर 'निक्स ओलंपिया' इसी ग्रह पर है।
० सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी 'ओलिपस मेसी' इसी ग्रह पर है।
नासा का क्यूरोसिटी रोवर तथा इसरो का मंगलयान, मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए भेजे गए हैं।
वृहस्पति(Jupiter)-
० सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है इसका आकार इतना बड़ा है कि इसमें 1300 पृथ्वी समा सकती हैं।
० बृहस्पति सभी ग्रहों की तुलना में अपनी धुरी पर सर्वाधिक तेजी से घूमता है अतः बृहस्पति का दिन सबसे छोटा होता है।
० इसका उपग्रह ग्यानीमीड सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।
शनि(Saturn)-
० शनि ग्रह के चारों ओर तथा ग्रह से दूर रंग बिरंगा वलय तंत्र पाया जाता है, इन वलयों का निर्माण जमी हुई गैस के ठोस कणों एवं विखंडित पदार्थों के मिश्रण से हुआ है जब सूर्य का प्रकाश इन कणों पर पड़ता है तो यह विभिन्न रंगों में झिलमिलाते हैं।
० आकार की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
० शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है यह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा उपग्रह है जहां पर पृथ्वी की भांति सघन वायुमंडल पाया जाता है।
० इसका औसत घनत्व सभी ग्रहों में सबसे कम है।
० शनि के गर्भ में अत्यधिक तप्त तथा तरल अमोनिया का महासागर है जिस की सतह पर 1800 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक तेज चलने वाली हवाएं पाई जाती हैं।
अरुण(Uranus)-
० इसके वायुमंडल में मुख्य रूप से अमोनिया, हाइड्रोजन, हीलियम, मेथेन इत्यादि गैंसे पाई जाती हैं इसकी बाह्य वायुमंडल का औसत तापमान -215 ०C होता है।
० इसके चारो ओर भी वलय पाए जाते हैं।
० इसका अक्ष ऊर्ध्वाधर से 82 डिग्री झुका हुआ है इसलिए जब यह सूर्य की परिक्रमा करता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी ड्रम तरह लुढकता हुआ परिक्रमा कर रहा है।
० अपने अक्ष पर अन्य ग्रहों के विपरीत पूर्व से पश्चिम घूमता है जिससे यहां सूर्योदय पश्चिम की ओर होता है।
वरुण(Neptune)-
० इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का 4 गुना है।
० यह चारों गैसीय ग्रह में सबसे अधिक घना ग्रह है।
० इसके चारों ओर भी पांच वलय पाए जाते हैं परंतु इन्हें पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता।
० यह सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है।
० इसे हरे रंग का ग्रह भी कहते हैं इसके चारों ओर अति शीतल मीथेन के बादल पाए जाते हैं।
No comments:
Post a Comment