मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना-
किसी भी फसल के विकास के लिये सबसे महत्वपूर्ण तत्व मृदा होती है यदि मृदा अनुपजाऊ है तो वह फसल के लिए प्रतिकूल होती है इसलिए केंद्र सरकार ने 'स्वस्थ धरा खेत हरा' के आदर्श वाक्य के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में की।यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की एक योजना है जिसके अंतर्गत प्रत्येक खेत के लिए 3 साल में एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य-
1. कृषकों को मृदा स्वास्थ संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना ताकि वह मृदा की क्षमता के अनुसार फसलों का चयन कर सके।
2. रासायनिक खादों के प्रयोग को कम करना तथा जैविक/देशी खादों के उपयोग को बढ़ावा देना।
3. मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की कार्य क्षमता को बढ़ाना तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,राज्य कृषि विश्वविद्यालयों एवं अन्य कृषि संस्थानों के मध्य संपर्क बढ़ाना तथा कृषि विज्ञान के छात्र- छात्राओं को इसमें भागीदार बनाना।
4. संधारणीय कृषि को बढ़ावा देना।
5. फसल चयन, भूमि उपयोग तथा सिंचाई की मितव्ययिता के प्रति कृषकों को जागरूक करना।
इसके अतिरिक्त इस योजना का उद्देश्य योजना प्रथम 3 साल में 14 करोड़ों किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है। इस योजना के प्रथम चरण(2015-17) में जहां 10.7 करोड़ तथा द्वितीय चरण(2017-19) में लगभग 4 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए।
मुख्य विशेषताएं-
1. इस योजना के अंतर्गत मृदा हेतु 12 मापदंडों का प्रयोग किया जाता है जिसमें मुख्य पोषक तत्व(N,P,K) , सूक्ष्म पोषक तत्व(Zn,Cu,Fe,Bo आदि), भौतिक मानदंड(Ph,Ec आदि) एवं गौड़ तत्वो आदि को सम्मिलित किया गया है।
2. मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसान के अलग-अलग खेतों के लिए अलग-अलग पोषक तत्व, उर्वरक एवं फसलवार अनुशंसाए की जाती है।
3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मिट्टी के नमूनों का पूर्ण परीक्षण किया जाता है तथा उसकी अम्लीयता,क्षारीयता आदि का परीक्षण भी इसमें सम्मिलित होता है।
4. इसमें मृदा की नमी ,तापमान, पोषक तत्व के आधार पर किसानों को सलाह दी जाती है कि उन्हें किस फसल का उत्पादन करना है जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
5. इस योजना के अंतर्गत 40 वर्ष तक के किसान एवं ग्रामीण युवा मृदा स्वास्थ्य परीक्षणशालाओं की स्थापना करने एवं जाँच करने हेतु पात्र हैं।
6. इसके अंतर्गत किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों के वितरण हेतु प्रति हेक्टेयर 2500 रुपए प्रदान किए जाते हैं।
7. लघु मृदा जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
योजना के लाभ-
1. वैज्ञानिक कृषि संभव हो सकेगी।
2. कृषि-जलवायु दशाओं एवं मृदा स्वास्थ्य के अनुसार फसल का चयन किया जा सकेगा।
3. रासायनिक खाद का प्रयोग कम होगा जिससे कृषि लागत में कमी आएगी।
4. किसान अपनी मांग के अनुसार किस फसल का चयन करना है इसकी जानकारी ले सकते हैं।
5. मृदा की गुणवत्ता में सुधार के लिए किसानों को वैज्ञानिक सुझाव मिल सकेंगे जिससे वह कृषि में सुधारात्मक उपाय अपना सकेंगे।
6. मिट्टी की क्षमता के अध्ययन एवं तदनुसार फसलों के चयन से कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
7. वर्ष 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
8. नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आंकड़ों का उपयोग करते हुए मृदा उर्वरता मूल्यांकन एवं पोषक तत्त्वों के मानचित्रण का कार्य कर रहा है।
9. स्थानीय देशी खादो एवं जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा मिलेगा जिससे गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न,फल-सब्ज़ी आदि का उत्पादन होगा।
चुनौतियां-
1.अधिकांश कृषक हमारे देश में अशिक्षित हैं जिसके कारण वह इन वैज्ञानिक उपायों को नहीं समझते।
2. मृदा परीक्षणशालाओं की कमी।
3. प्रशिक्षित मानवशक्ति का अभाव।
4. प्रयोगशाला से खेतों को जोड़ने वाली अवसंरचनाओं की कमी।
5. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता का अभाव।
इन सब चुनौतियोन से निपटकर ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सकता है।हाल ही में सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 'आदर्श गांव की विकास योजना' की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत व्यक्तिगत खेतों से मृदा नमूनों का संग्रहण किया जाएगा ताकि उनका परीक्षण किया जा सके।
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