गिद्ध संरक्षण परियोजना:-
गिद्ध को वातावरण के सफाईकर्मी के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह मरे हुए पशुओं का भक्षण कर पर्यावरण को स्वच्छ रखता है। परंतु गिद्धों की संख्या में काफी गिरावट देखी गई जिसका प्रमुख कारण जानवरों को दी जाने वाली दर्द निवारक दवा डिक्लोफेनेक थी।जब गिद्ध इन मृत जानवरों को खाते थे तो यह दवा उनके शरीर में प्रवेश कर जाती थी और उनकी किडनी को दुष्प्रभावित कर उनकी मृत्यु का कारण बनती थी।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा वन विभाग एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने वर्ष 2006 में मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए जिसका प्रमुख उद्देश्य गिद्धों का संरक्षण था।
गिद्धों के संरक्षण के लिए एशिया में सेव(SAVE-Saving Asia’s Vultures from Extinction)नामक कार्यक्रम चलाया गया जिसके अंतर्गत डिक्लोफेनेक दवा को प्रतिबंधित कर दिया गया तथा भारत में इस दवा की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी है।
गिद्धों का महत्व:-
1. वातावरण को साफ रखने में।
2. मरे हुए जानवरों का भक्षण करते हैं जिससे यह संक्रामक रोगों को फैलने से रोकते हैं।
3. पारसी समुदाय के धार्मिक कार्यों में इसका महत्व है क्योंकि यह बचे हुए शव का भक्षण करते हैं।
4. जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:-
1. भारत में गिद्ध की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं।
2. पिंजौर (पंचकूला, हरियाणा) में गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है जिसमें गिद्धों की 3 प्रजातियों( सफेद पीठ वाले गिद्ध,लंबी चोंच वाले गिद्ध और पतली चोंच वाले गिद्ध) कि संरक्षण पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है। यही हरियाणा वन विभाग तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की संयुक्त पहल है
3. उत्तर प्रदेश सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए महाराजगंज में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है।
4. मेलोक्सिकम दवा का प्रयोग डिक्लोफेनेक के विकल्प के रूप में किया जाता है।
5. गिद्धों के सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए 'गिद्ध सुरक्षा ज़ोन' बनाने की बात की जा रही है जिसमें गिद्धों के आवास के 150 किलोमीटर के दायरे में किसी भी हानिकारक दवा को प्रतिबंधित किया जाएगा।
6. असम के धर्मपुर में देश का प्रथम गिद्ध प्रजनन केंद्र खोला गया था।
7. राजभतखवा(पश्चिम बंगाल) तथा रानी(असम) में भी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी द्वारा गिद्ध प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है।
8. केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने भोपाल, जूनागढ़,भुवनेश्वर, गुवाहाटी और हैदराबाद में स्थित चिड़ियाघरों को भी गिद्ध प्रजनन केंद्र के लिये मान्यता दी है।
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