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    28.6.20

    काला- अजार रोग

    काला- अजार रोग:-
    इसे ब्लैक फीवर के नाम से भी जाना जाता है,यह आमतौर पर अंदरूनी अंगों जैसे तिल्ली,जिगर,अस्थिमज्जा पर असर करता है।
    इसके लक्षण में बुखार, बजन घटना, तिल्ली या जिगर की सूजन आदि है।
    प्रसंग: 
    हाल ही में, पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने काला- अजार (आंत का लीशमैनियासिस) में दवा प्रतिरोध से लड़ने के लिए नया बायोमोलेक्यूलस पाया है। एनसीसीएस भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन है। यह देश में कोशिका जीव विज्ञान अनुसंधान की सुविधा के लिए स्थापित किया गया था।
     प्रमुख बिंदु :-
    दवा के लिए प्रतिरोध: लीशमैनियासिस, के खिलाफ उपलब्ध एकमात्र दवा मिलटेफ़ोसिन परजीवी के अंदर इसके संचय में कमी के कारण इस दवा के उभरते प्रतिरोध के कारण तेजी से अपनी प्रभावशीलता खो रही है।
     जिम्मेदार प्रोटीन: called P4ATPase-CDC50 ’नामक एक प्रोटीन, परजीवी द्वारा दवा के सेवन के लिए जिम्मेदार है, और एक अन्य प्रोटीन, जिसे-P-ग्लाइकोप्रोटीन’ कहा जाता है, परजीवी के शरीर के भीतर से इस दवा को बाहर फेंकने के लिए जिम्मेदार है।
     स्रोत: पीआईबी

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