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    18.6.20

    राज्यसभा की संरचना एवं महत्व

    राज्यसभा की संरचना एवं महत्व-
    राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन है ,राज्यसभा का अर्थ है राज्य के प्रतिनिधियों का घर ।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा का प्रावधान है तथा भारत में राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का आधार जनसंख्या को बनाया गया है (सर्वाधिक सदस्य उत्तरप्रदेश -31,से आते हैं), राज्यसभा का पहली बार गठन 3 मई 1952 ई० को हुआ था।
    महत्वपूर्ण विशेषताएं-
    1. राज्यसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 250 हो सकती है 1971 की जगह जनगणना में ऐसा निर्धारित किया गया था। लेकिन 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम,1976 द्वारा इसे बढ़ाकर 2000 ई० तक के लिए स्थिर कर दिया गया ,परंतु 84 वें संविधान संशोधन अधिनियम ,2001 के द्वारा इसे बढ़ाकर 2026 ई० तक के लिए स्थिर कर दिया गया।(वर्तमान मेंं राज्यसभा में  245 सदस्य हैं)
    2. 250 सदस्यों में से 238 सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। संघ शासित प्रदेशों से राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव उसी रीति से किया जाएगा जैसा संसद कानून बनाकर निर्धारित करेगी।
    3. राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं जो साहित्य ,कला ,विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशिष्ट अनुभव रखते हैं।
    4. राज्यसभा के लिए योग्यताएं-
       ० वह भारत का नागरिक हो
       ० उनकी आयु 30 वर्ष से कम न हो 
       ० भारत राज्य क्षेत्र के किसी मतदाता सूची में उनका नाम           पंजीकृत हो
       ० संसद द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताएं।
    5. राज्यसभा एक स्थाई सदन है जिसका कभी विघटन नहीं होता।
    6. राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है जिसमें से एक तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
    7. यदि किसी सदस्य की मृत्यु कार्यकाल पूरा होने के पूर्व हो जाती है तो उसके स्थान पर चुना गया सदस्य शेष अवधि के लिए कार्य करता है।
    8. राज्यसभा के सदस्यों को भी लोकसभा के सदस्यों की भांति सारे अधिकार प्राप्त होते हैं तथा इन्हें राज्य के विकास के लिए प्रति वर्ष 5 करोड़ प्राप्त होते हैं।
    9. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है तथा राज्यसभा अपने ही सदस्यों में से एक उपसभापति का चुनाव करती है जो कि सभापति की अनुपस्थिति में उसके दायित्व का निर्वहन करता है।
    10. राज्यसभा के सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त व्यक्ति पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
    11. राज्यसभा में कोरम या गणपूर्ति के लिये  1/10 सदस्यों  की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
    12. राज्यसभा के सदस्य अपना त्यागपत्र राज्यसभा के सभापति को देते हैं।
    13. यदि कोई सदस्य संसद अधिवेशन से सभापति को सूचना दिए बिना लगातार 60 दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है परंतु यदि बैठक कम से कम 4 दिन के लिए बीच में स्थगित होती है तो इसे उस समय में जोड़ा नहीं जाता।
    महत्व-
    1. राष्ट्रीय आपात, राष्ट्रपति शासन और वित्तीय आपात आदि को लगाने में प्रस्ताव पारित करने के लिए राज्यसभा का महत्व लोकसभा के बराबर है।
    2. उपराष्ट्रपति को हटाने में पहले राज्यसभा ही पहल करती है।
    3. संविधान संशोधन विधेयक के मामले में दोनों सदनों को समान अधिकार प्राप्त है।
    4. राज्यसभा अनुभवी एवं योग्य व्यक्तियों का सदन माना जाता है।
    5. इसके अतिरिक्त राज्य सभा को दो ऐसे अधिकार प्राप्त हैं जो लोकसभा को भी प्राप्त नहीं हैं ।
    अनुच्छेद 249 के अनुसार यदि राज्यसभा अपने उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव पारित कर दे तो संसद राज्य सूची के किसी भी विषय पर कानून बना सकती है 
    नोट-संसद द्वारा राज्य सूची पर बनाया हुआ कानून केवल 1 वर्ष के लिए मान्य होगा यदि इससे अधिक समय तक इसे बनाए रखना है तो पुनः प्रस्ताव को पारित कराना होगा।
    अनुच्छेद 312 यदि राज्यसभा अपने उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव पारित कर दे तो संसद अखिल भारतीय सेवा के पद का सृजन कर सकती है।
    नोट- वर्तमान में अखिल भारतीय सेवा के अंतर्गत 3 सेवाएं आती हैं -भारतीय प्रशासनिक सेवा(IAS),भारतीय पुलिस सेवा(IPS) तथा भारतीय वन सेवा(IFS)।

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