अमेरिका में उग्र-प्रदर्शन एवं रंगभेद-
एक अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मिनियापोलिस में पुलिस हिरासत में हुई मौत ने अमेरिका को आग की लपटों में झोंक दिया है आज अमेरिका के 100 से अधिक शहरों में यह दंगे फैल गए हैं साथ ही यूरोप,एशिया आदि में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। अमेरिका में इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन इससे पहले मार्टिन लूथर किंग की हत्या (4 अप्रैल 1968) के बाद हुए थे। वास्तव में यह अमेरिका से बढ़ रहे रंगभेद एवं नस्लभेद के कारण ही हुआ है, जो अमेरिका मानवाधिकार, समतामूलक समाज,न्याय,विकास आदि की बात विश्व स्तर पर करता है परंतु उसके यहां इस तरह के विरोध प्रदर्शन उसकी वास्तविकता को उजागर कर देते हैं।
इन प्रदर्शनों के मूल कारण-
अश्वेत लोगों को यद्यपि अमेरिकी गृह युद्ध के बाद 1865 ई० में समान अधिकार सैद्धांतिक तौर पर प्रदान कर दिए गए थे परंतु वास्तविकता में उन्हें आज तक यह अधिकार प्राप्त नहीं हुए है उन्हें शिक्षा ,स्वास्थ्य ,आवास की कमी आदि समस्याओं का सामना आज भी करना पड़ता है निम्न स्तरीय कार्य जैसे साफ-सफाई करना, गंदगी उठाना आदि वह अमेरिका में आज भी करते दिख जाते हैं, विश्वविद्यालय शिक्षा एवं नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व काफी कम है। देखा जाए तो यूरोप से आने वाले श्वेत आप्रवासियों के द्वारा जब अश्वेत लोगों को गुलाम बनाकर अमेरिका में लाया गया था तब से लेकर आज तक उनके साथ दुर्व्यवहार ही किया जाता रहा है जबकि कानूनी स्तर पर अमेरिका में सभी समान हैं।
अश्वेत लोगों की अमेरिका में जनसंख्या लगभग कुल आबादी का 18% है परंतु एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि अमेरिकी जेलों में बंद आधे कैदी अश्वेत हैं। इसके अलावा कोरोना महामारी में भी अधिकतर मौतें अश्वेत लोगों की ही अमेरिका में हो रही है इस बात का प्रश्न पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने भी उठाया है। इसीलिए एक अश्वेत व्यक्ति की हत्या से वहां के अश्वेतों में दबा हुआ गुस्सा फूट पड़ा और वह उग्र प्रदर्शन व रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने लगे।
प्रभाव-
1. इन उग्र प्रदर्शनों ने अमेरिका की वास्तविकता को दुनिया के सामने उजागर कर दिया है।
2. कोरोना महामारी के दौर में हो रहे इन दंगों से विकासात्मक गतिविधियां अवरुद्ध हुई हैं।
3. अश्वेत अधिकारों की मांग नए सिरे से पुनः उठने लगी है।
4. राष्ट्रपति ट्रंप ने इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए अमेरिकी सेना को लगाने की बात कही है।
5. नवंबर महीने में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी इनका असर दिखाई दे सकता है।
6. विश्व स्तर पर नस्लभेद एवं रंगभेद को लेकर अमेरिका की छवि धूमिल हुई है।
इसलिए अमेरिका जैसे विकसित देश को अपने सभी नागरिकों को समान अधिकार वास्तविक अर्थों में प्रदान किए जाने चाहिए तथा वह विश्व स्तर पर जिस समान अधिकार और मानवाधिकार की बात करता है उसे सर्वप्रथम अपने देश में इसे ठीक से लागू करना चाहिए।
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