हंगुल प्रोजेक्ट-
हंगुल प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 1970 में की गई।जम्मू कश्मीर सरकार ने IUCN और WWF के साथ मिलकर हंगुल परियोजना शुरू की ताकि हंगुल को संरक्षण प्रदान कर उनकी संख्या में वृद्धि की जा सके।
मुख्य विशेषताएं-
1. हंगुल जम्मू-कश्मीर का राजकीय पशु है तथा अब यह केवल दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में ही पाया जाता है।
2. हंगुल यूरोपीय रेनडियर प्रजाति का हिरण है जिसे कश्मीरी स्टैग या कश्मीरी हिरण भी कहा जाता है।
3. हंगुल को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है।
4. IUCN की रेड डाटा लिस्ट में इससे गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
हंगुल की घटती आबादी के कारण-
1. प्राकृतिक आवास का विखंडन
2. तेंदुआ, हिमालयीभालू एवं जंगली कुत्तों द्वारा हिरण का शिकार।
3. लिंगानुपात का असंतुलन एक गंभीर समस्या है(प्रति 100 मादाओं पर 12-15 पुरुषों का होना चिंता का विषय है)
4. इस क्षेत्र में बढ़ती आतंकवाद की घटनाएं एवं सीमा संघर्ष।
5. हिरण के बच्चों का अपने आवास से बिछड़ जाना।
वर्ष 2017 के नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार वर्तमान में इनकी संख्या 182 है जो दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में ही पाये गए हैं। जम्मू कश्मीर सरकार एवं अन्य संस्थाओं द्वारा इनकी वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि स्थानीय खाद्य श्रंखला में इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
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