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    30.5.20

    भारतीय संविधान की अनुसूचियां

    भारतीय संविधान की अनुसूचियां
    मूल रूप से भारतीय संविधान में 8 अनुसूचियों का उल्लेख था तुरंत बाद में संविधान संशोधनों के द्वारा चार अन्य अनुसूचियों को संविधान में जोड़ा गया जिससे अब कुल 12 अनुसूचियां भारतीय संविधान में हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-

    प्रथम अनुसूची- इसमें भारत के राज्यों और संघ शासित प्रदेशोंं का प्रावधान है इस समय इस अनुसूची में 28 राज्य और 9 संघ शासित प्रदेश हैं।
    नोट:- 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर का राज्य के रूप में दर्जा समाप्त करके जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख दो नए संघ शासित प्रदेशों का गठन किया गया।
    69 वें संविधान संशोधन द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया।
    द्वितीय अनुसूची- इसमें महत्वपूर्ण व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति, उपसभापति ,लोकसभा के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, न्यायाधीशों, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक आदि के वेतन एवं भत्तेे का उल्लेख है।
    तृतीय अनुसूची- इसमें मंत्रियों ,न्यायाधीशोंं आदि केे शपथ एवं प्रतिज्ञा लेने का उल्लेख है।
    चतुर्थ अनुसूची -इसमें राज्यसभा के सदस्यों की सीटों के आवंटन का उल्लेख है।
    पांचवी अनुसूची -इसमें अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन एवं नियंत्रण का उल्लेख है।
    छठवीं अनुसूची -इसमें असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के अनुसूचित जनजातियों एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन एवं नियंत्रण का उल्लेख है।
    सातवीं अनुसूची- इसमें संघ एवं राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण करने वाली सूचियों जैसे संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का उल्लेख है।
            संघ सूची- वर्तमान में इसमें 100 विषय हैं संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है।
           राज्य सूची- वर्तमान में इसमें 61 विषय हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार को प्राप्त है।
          समवर्ती सूची- वर्तमान में इसमें 52 विषय हैं जिन पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों को प्राप्त है परंतु यदि किसी विषय पर दोनों ने ही कानून बनाया है तो केंद्र सरकार का कानून मान्य होगा।
    आठवीं अनुसूची- इसमें भारत की भाषाओं का उल्लेख है मूल संविधान में 14 भाषाएं थी लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई है।
    नौवीं अनुसूची -इसे प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम 1951 द्वारा संविधान में जोड़ा गया है इसमें ऐसे विषय रखे गए हैं जिसे न्यायपालिका में चुनौती नहीं दी जा सकती है इसमें भूमि सुधार से संबंधित लगभग 284 अधिनियम तथा तमिलनाडु में पिछड़ों को 69% आरक्षण दिया गया है।
       नोट- 11 जनवरी 2007 को संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा स्थापित हुआ कि अब 9वी अनुसूची में सम्मिलित विषयों की भी कानूनी समीक्षा की जा सकती है यदि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। साथ ही 24 अप्रैल 1973 के बाद नौवीं अनुसूची में शामिल किए गए किसी भी विषय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
    दसवीं अनुसूची- इसे 52 वें संविधान संशोधन अधिनियम ,1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया इसमें दल-बदल की अयोग्यता संबंधी प्रावधानों को रखा गया है।
    ग्यारहवीं अनुसूची-  इसे 73वेें संविधान संशोधन अधिनियम (1993)द्वारा जोड़ा गया , इसमें पंचायती राज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं।
    बारहवीं अनुसूची -इसे 74 वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया इसमें शहरी क्षेत्र के स्थानीय निकायों को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किए गए हैं।

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