1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों,संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
2.स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को अपने हृदय में संजोए रखे व उनका पालन करे।
3.भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें।
4.देश की रक्षा करें और आवाह्न किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
5.भारत के सभी लोग समरसता और सम्मान एवं भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग के भेदभाव पर आधारित न हों, उन सभी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।
6.हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
7.प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील,नदी वन्य प्राणी आदि आते हैं की रक्षा व संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवतावाद व ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें ।
9.सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें व हिंसा से दूर रहें।
10.व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों सतत उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति करते हुए प्रयात्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले।
पहले संविधान में इन्हीं 10 मूल कर्तव्यों को सम्मिलित किया गया था परंतु 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा एक अन्य मूल कर्तव्य को जोड़ा गया अब इनकी संख्या 11 हो गई है
11.यदि आप माता-पिता या संरक्षक हैं तो छह वर्ष से चौदह वर्ष आयु वाले अपने या प्रतिपाल्य (यथास्थिति) बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।
महत्वपूर्ण विशेषताएं-
1. मूल कर्तव्य गैर न्यायोचित है अर्थात इन्हें न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता।
2. यह केवल भारतीय नागरिकोंं के लिए हैं विदेशियोंं के लिए नहीं।
3.ये महिलाओं के प्रति सम्मान, गौरवशाली परंपरा ,वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि को अपनाने की सलाह देते हैं अर्थात यह भारतीय परंपरा एवंं जीवन पद्धति से जुड़े हुुुए हैं।
4. संसद नियम एवं कानून बनाकर इनके क्रियान्वयन के लिए स्वतंत्र है।
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