शब्द संख्या: 700 (लगभग)
आज हम सभी सूचना क्रांति से युक्त एक एसे समाज का अंश है जिसमें सुख-दुख, आसक्ति-विरक्ति, तर्क-वितर्क, शेर-शायरी, कविता-कहानी आदि के स्वरूप में जीवन के अनगिनत अनुभवों का भंंडार है।
इन सभी संवेदनाओं के इतर एक सवाल यह उठता है क्या वाकई में सामाजिक पुल इतने कमजोर हो गये हैं कि एक दूसरे से जुड़ने के लिये हमें इन सभी बहानों की आवश्यकता पड़ रही है ?
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